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गुरु बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे न सार, रहे अज्ञानी - संत रामपाल जी महाराज

दिनांक 14 अप्रैल 2024 जिले के बैतूल तहसील भीमपुर के ग्राम झापल में, दिन रविवार को जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन LCD द्वारा प्रसारित हुए। यह आध्यात्मिक ज्ञान श्रवण करने बहुत से श्रद्धालु सत्संग स्थल पर पहुंचे। सत्संग में संत रामपाल जी महाराज ने बताया कि मनुष्य कितनी भी चतुराई करले, परंतु बिना सतगुरु के उसे मानव जीवन में मूल कर्तव्य क्या है? उसकी पहचान नहीं हो सकती है। क्योंकि मनुष्य लोकवेद- मनमानी मान्यताओं में इतना उलझा है कि वह स्वयं कभी नहीं सुलझ सकता है उस उलझन से।

इसके लिए, आगे संत रामपाल जी महाराज ने प्रमाण बताते हुए कहा कि तत्वदर्शी संत हमें सर्व वेद-पुराणों का सार प्रमाण सहित समझा सकते हैं और वही सच्चे संत हमें मोक्षदायी भक्ति प्रदान कर, हमारा मनुष्य जीवन सफल कर सकते हैं।

गुरु की शरण हमें परमात्मा कि कृपा से

प्राप्त होती है और सतगुरु द्वारा दी गई भक्ति ही हमारे पाप कर्म नष्ट कर हमें पूर्ण सुखी करती है। यदि हमें ईश्वर से मिलने वाले लाभ प्राप्त करने हैं तो केवल और केवल हमें सद्भक्ति करनी पड़ेगी अन्यथा जीवन बर्बाद है। गीता अध्याय 15 में पूर्ण तत्वज्ञानी के बारे में बताया है कि पूर्ण संत

की शरण में जाकर उनसे भक्ति साधना लेकर समझकर भक्ति प्रारम्भ करना ही हितकारी है। उपरोक्त कथन से सिद्ध है कि यदि शास्त्रविरुद्ध आराधनाएं करते है या बिना तत्वदर्शी संत के साधना करते हैं तो सब व्यर्थ है। गुरु बिन काहू न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छड़े किसाना।। तीर्थ व्रत अरु सब पूजा, गुरु बिन दाता और न दूजा। धनवृद्धि और सुखशांति जो कि पूर्ण गुरु दीक्षा के रूप में मंत्र जाप करने को देते हैं जिससे लाभ व मोक्ष प्राप्ति होती है। इस मंत्र का भेद केवल तत्वदर्शी संत ही दीक्षा प्रदान करते समय बताते हैं। इस सत्संग कार्यक्रम में एकदिवसीय निःशुल्क नाम दीक्षा की व्यवस्था भी की गई थी।

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